Saturday, 10 October 2020

बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी पटना के द्वारा "नज़र और कुछ दे रही है गवाही" पर 2.10.2020 को ऑनलाइन तरही मुशायरा सम्पन्न

न गुलशन में बाकी है ताज़ा हवा ही

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बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी पटना के तत्वावधान में आयोजित तरही मुशायरा में पटना के अलावा बिहार से  भागलपुर, जमुई, रोहतास, झारखण्ड से रांची - हज़ारीबाग और विभिन्न महानगरों यथा मुम्बई, कोलकाता ,दिल्ली, तथा लुधियाना, भटिंडा (पंजाब), राउरकेला (ओड़ीसा), भिलाई (छतीसगढ़) के 25 से ज़ियादा महिला(9) और पुरुष ग़ज़लकारों ने अपनी ग़ज़लें पेश कीं| ऑनलाइन मुशायरा आकर्षक और शानदार रहा | मुशायरे की एक झलक के तौर पर पेश है नुमाइंदा शाइरों के नुमाइंदा अशआर :

मुशायरा का आगाज़ शाम 7 बजे आराधना प्रसाद ने सरस्वती वंदना से किया | उन्होंने अपनी ग़ज़ल पेश करते हुए युद्ध जैसे हालत में चीन और पाकिस्तान की सरह्दों पर लड़ते हुए जवानों की हौसला अफ़जाई की बात कही :
दुआ उसके हक़ में तो बनती है लोगों
जो सरहद पे लड़ता है अदना सिपाही
 
अनिल कुमार सिंह, डीआईजी (सेवा निवृत) ने कहा :
 न तर्क ए सुखन हो कभी भी हमारा
भले बंद कर दो मियाँ आवाजाही

कोलकाता से जुड़े शाइर असग़र शमीम ने फरमाया :
 ये चेहरे बयां और कुछ कर रहे हैं
'नज़र और कुछ दे रही है गवाही'
 
एकराम हुसैन शाद ,भागलपुर ने
 बिहार की शराबबंदी की कामयाबी के पीछे के राज़ का बयान करते हुए एक रोमांटिक शे’र पढ़ा :
 निग़ाहों से पीने का अपना मज़ा है
नहीं चाहिए जाम-ओ-मीना सुराही
 लेकिन वे चोर-गुंडों की उत्पात पर भी चुप नहीं बैठे :
 अजब हौसला भी हुकूमत ने बख़्शी
डरे चोर गुंडों से ख़ुद अब सिपाही
 
इक़बाल दानिश, तेलारी, रोहतास को फ़िक्र है कि वे कैसे ख़ुद को बेगुनाह साबित करें :
मेरी बात मुंसिफ भी सुनता नहीं अब
भला कैसे साबित करूँ बेगुनाही
 
भटिंडा ,पंजाब से करन कटारिया  प्रशासन पर तंज कसते हुए कहते हैं :
न  पोछे गए, मुफ़लिसों  के जो आँसू,        
तो  किस  काम  आई  तेरी बादशाही।
 
दिल्ली से फौज़ के एक जवान कलियुगी घनश्याम जवानों के हौसलों की बात करते हैं:
वतन  के  हसीं  राह   के  हम   सिपाही।
ये   वर्दी   हमारी    वफ़ा   की    गवाही।
 चले  हम   जिधर  से  उधर  साफ  मैदाँ,
जिधर   देखिए   दुश्मनों   की    तबाही।
 
पत्रकारिता से जुड़े पटना के कुमार पंकजेश ने यह शे’र पढ़ा :
 ख़मोशी उजालों की कहने लगी है
बग़ावत पे उतरी है अब ये सियाही
 
डॉ कृष्ण कुमार प्रजापति, राउरकेला (ओड़ीसा) में होटल व्यवसाय में क़िस्मत आजमा रहे हस्सास शाइर आज के समाज की सच्चाई उजागर करते हुए अपनी व्यथा अभिव्यक्त करते हैं :
ग़लत लोगों का साफ़ रहता है दामन
शरीफ़ों पे ही फेंकते हैं सियाही
 बहुत रो रहे हैं जो करते हैं मेहनत
बहुत ख़ुश हैं जो कर रहे हैं उगाही
 
रांची के तेजस्वी पत्रकार देवेन्द्र गौतम  निराश दिखाई देते हैं :
न फूलों की ख़ुशबू बची है सलामत
न गुलशन में बाकी है ताज़ा हवा ही.
 
नसर आलम नसर ,पटना को मुहब्बत में सिर्फ तबाही का ही एहसास होता है :
 मोहब्बत  से  दिल  कांपता  है हमारा
सुना  है  मोहब्बत  में  है  बस तबाही

डॉ नूतन सिंह, जमुई को लोकतंत्र में आम अवाम के लिए कोई परिवर्तन दिखाई नहीं देता :
सिवा तर्ज़ के और कुछ भी न बदला,
अभी भी है क़ायम यहाँ बादशाही।
 
मुंबई में सेवारत भोजपुर के शाइर प्रेम रंजन अनिमेष रोमांस से लबरेज़ दीखते हैं :          
    यूँ  ही  रख  दिये  होंठ होंठों पर उसके
              न  मैंने  कहा  कुछ   न उसने  सुना ही
 
पूनम सिन्हा श्रेयसी, पटना  प्रेम में बर्बादी की कहानी बयान करती है :
 मुहब्बत मिरी दे रही है गवाही।
हुई है अभी तक गज़ब की तबाही।।
 
डॉ फ़रहत हुसैन ‘ख़ुशदिल’, हजारीबाग, झारखंड कहते है :
 'नज़र और कुछ दे रही है गवाही'
मेरे दिल के अंदर से आवाज़ आई

फ़रीदा अंजुम ,पटना सिटी ने बहुत सुन्दर गिरह लगाईं है:
 ज़बां तर्जुमानी करे कुछ भी लेकिन
'नज़र और कुछ दे रही है गवाही'
 
ग़ाज़ियाबाद के 80 वर्षीय नौजवान शाइर डॉ ब्रम्ह्जीत गौतम कोरोना के प्रति काफ़ी चिंतित हैं:
नहीं  जा  रही  ये  वबा  या  इलाही
मचायी है  हर  ओर  जिसने  तबाही
 उन्हें समाज में झूठ के परस्तारों  की निर्लज्जता पर ऐतराज़ और अफ़सोस है:
 अदालत में सच 'जीत'  पायेगा कैसे
सभी झूठ की  दे  रहे  हैं  गवाही
 
बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी के चेयरपर्सन और पटना में कई साल तक एडीएम लॉ एंड आर्डर रहे रमेश कँवल ड्रग में फंसे लोगों, किसानों की आड़ में राजनीति करनेवालों और बड़े लोगों के बड़प्पन की बहुत सुन्दर चर्चा करते है :
 गुनाहों की मस्ती में हलचल मची है
ये ड्रग क्या पता लाए कितनी  तबाही
 बड़े लोग झुकते हैं मिलने की ख़ातिर
भरे है गिलासों को जैसे  सुराही
 ‘कँवल’ इन दिनों फ़िक्रे दहकाँ में गुम हैं 
दलालों में  है खौफे-ज़िल्ले इलाही
 
राजकांता राज,  पटना  ने मुहब्बत में नज़र का कमाल बताया :
मुहब्बत में जब दी नज़र ने गवाही
वफ़ा की डगर पर चला दिल का राही
 
राजेश कुमारी राज, मुंबई ने गवाहों की बेबसी का ज़िक्र करते हुए कहा :
 तुम्हारी अदालत, तुम्हारा है मुंसिफ़,
कहाँ अब चलेगी ये हर्फ़-ए-गवाही।

शुचि 'भवि'   भिलाई, छत्तीसगढ़ से मास्क की अहमियत बताती हैं :
 करोना बड़ा आज क़ातिल बना है   
बिना मास्क मत चल कड़ी है मनाही

सागर सियालकोटी, साहिर लुधियानवी के शहर लुधियाना पंजाब से अदालत की असलियत और शरीफों की मज़बूरी का बयाँ कुछ इस तरह करते हैं :
अदालत सबूतों पे मबनी है 'सागर'  (मबनी -आश्रित)
वो साबित नहीं कर सका बेगुनाही
 
प्रो. (डॉ) सुधा सिन्हा' सावी',पटना  अपना सपर्पण बयाँ करती हैं
 सजन मैं हमेशा रहूंगी तुम्हारी
जमाना करे चाहे कितनी मनाही
 
फतुहा के उच्च विद्यालय में अध्यापनरत कुमारी स्मृति कुमकुम सुशांत कुमार राजपूत को यादों के आकाश में निहारती हैं :
 फरेबी जहाँ ,मतलबी यार सारे,
कि फंदे से लटकी गले की सुराही।

पटना सिटी के घनश्याम जी   दीर्घ काल तक अदालतों में इन्साफ के लिए चक्कर लग़ाते रहने से जनमानस में शासन-प्रशासन का धूमिल और भयावह चेहरा दिखाते हैं :
 अदालत  में  इंसाफ   होने  से   पहले
निपट लेते  हैं खुद दरोग़ा  -   सिपाही
वे कोरोना से बचाव के लिए बिना मास्क घर से बाहर निकलने की मनाही को बुलंदी से आवाज़ देते हैं :
बिना मास्क पहने हुए मत निकलना
सभी शख्स पर  है  ये  लागू  मनाही
वे भोजपुरी भाषा से अपना प्यार छुपा नहीं पाते हैं 
यहां   भोजपुर  की   जुबां   गूंजती है
हो आरा या बक्सर या बिहिया-बनाही

डॉ मेहता नगेन्द्र, विख्यात पर्यावरणविद अपने प्रकृति प्रेम के लिए देश में मशहूर है | उनके  एक एक शे’र ने यथोचित प्रशंसा के फूल समेटे :
  नहीं कर सकेगा प्रदूषण तबाही
    शज़र हैं  हमारे हितैषी सिपाही
  शज़र की बदौलत नगर है सुरक्षित
        शज़र हैं तो  है  मौज में बादशाही 
  प्रदूषित  हवा का असर भी बुरा है

       भरी ज़हर से है  सेहत की सुराही
    खड़ा हर तरफ़ ज़हर का है हिमालय
    उसे  ढाहने  में ही है वाहवाही  

प्रणय कुमार सिन्हा ने सुन्दर गिरह लगाते हुए कहा :
नज़र और कुछ दे रही है गवाही
मगर दिल के अंदर मची है तबाही

शरद रंजन शरद ने कहा : 
उजाले  हुए  क़ैद   उनके  घरों  में 
हमारे  क़फ़स में  हमेशा  सियाही

चैतन्य चन्दन ने  दिल्ली से कहा -
सियासी सड़ांधों से घुटने लगा दम
भला कौन इसकी करेगा उड़ाही
यहां मुंसिफों की नज़र है सियासी
करूं कैसे साबित मैं अब बेगुनाही
गई नौकरी तो भी ग़म क्या है "चंदन"
उठा लूंगा करछी, भगोना, कड़ाही

शुभ चन्द्र सिन्हा ने 
नशे में  भुलायी न  जाये  कभी  भी 
ख़याले - बदन , रात  की   बादशाही
शे’र सुना कर खूब वाह वाही लुटी.

बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी, पटना का ऑनलाइन तरही मुशायरा में 8-10 राज्यों के महिला और पुरुष ग़ज़लकारों ने शिरकत की | मुशायरा शानदार रहा | 

‘नज़र और कुछ दे रही है गवाही’ शीर्षक से एक ग़ज़ल का संकलन प्रकाशित करने पर सहमती बनी | रमेश कँवल चेयर पर्सन ने ऑनलाइन तरही मुशायरा में शिरकत करने वाले सभी ग़ज़लकारों का शुक्रिया अदा किया | और मुशायरा संपन्न हुआ |
.....

प्रस्तुति : रमेश ‘कँवल’
परिचय : चेयर पर्सन, बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी,पटना 
प्रस्तोता का ईमेल आईडी - rameshkanwal78@gmail.com
प्रतैक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com       























        

2 comments:

  1. मैंने भी इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया था। लेकिन मेरी पंक्तियां इस आलेख में नहीं है।

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    1. हमने अपनी ओर से कोई काट-छाँट नहीं की है. कृपया ईमेल से भेज दीजिए पंक्तियाँ ताकि हम जोड़ सकें.- editorbejodindia@gmail.com

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