Friday, 9 October 2020

अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलन 4.10.2020 को सम्पन्न

 आज के दिन दो फूल खिले थे जिनसे महका हिन्दुस्तान

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अग्निशिखा मंच के कवि सम्मेलन में 111 कवियों ने किया काव्य पाठ
मुंबई: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के उपलक्ष में अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । इस कवि सम्मेलन में 111 कवि-कवयित्रियों ने भाग लिया। समारोह की अध्यक्षता डॉ अंजना बाजपेई ने की। मुख्य अतिथि के रूप में  पुरुषोत्तम दुबे उपस्थित रहे। विशेष अतिथि के रुप में संपादक अखंड प्रताप सिंह गहमरी, नाटककार विजय पंडित, डॉ कुंवर वीर सिंह,  आशा जाखड़ तथा शायर इरफान नोमानी ऑनलाइन उपस्थित रहे। निर्णायक के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार  हेमलता मानवीय तथा डॉ अरविंद कुमार श्रीवास्तव उपस्थित रहे। संजय कुमार मालवीय ने आभार व्यक्त किया।
मंच संचालन /दो सत्रों में हुआ ।

 पहले चरण में संचालन किया डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई/ चंदेल साहेब हिमाचल प्र./ डॉ प्रतिभा कुमारी परासर  एवं ‘दूसरे सत्र का संचालन बिजैन्द्र मेव, राजस्थान, शोभा रानी तिवारी,इॉदौर और सुरेन्द्र हरडे,नागपुर ने किया।

सरस्वती वंदना करने के बाद शोभारानी तिवारी ने स्वागत भाषण डॉ अलका पाण्डेय सभ अतियों ने माँ शारदे को नमन कर कार्यक्रम शुरु किया । 

मुख्य अतिथि पुरुषोत्तम दुबे ने अपने व्यक्तव्य में मंच व कवियों को बधाई दी , विजय पंडित ने "ऐसे कार्यक्रम होते चाहिए" कहा। आशा ने कहा मंच के निमंत्रण से प्यार की महक आती है जो हम सब खींचें चले आते है कुंवर वीर सिंह ने कहाँ मैं आज की रचनाओं की ई बुक बना कर दूँगा ! डॉ अंजनी बाचपेई ने सब को शुभकामनाएँ दी अंखड प्रताप सिंह गहमरी ने १९ / २० दिसम्बर को गहमर में होने वाले साहित्य सम्मेलन में आने का निमंत्रण दिया । 

अग्निशिखा मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अलका पांडे ने उपरोक्त जानकारी दी।

काव्य पाठ की कुछ कवियों की झलक नीचे प्रस्तुत है -

डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई -
आओ आज याद करे
बापू के बलिदानों को
सत्य अंहिसा की लाठी से
खादी वाली धोती से
अंग्रेज़ों को ललकारा था
देश प्रेम जगाया था
देश का बच्चा बच्चा जाग उठा था

चंदेल साहिब -
सौ झूठ पर एक सच की मिसाद।
"मैं गाँधी हूँ"
हिंसा पर अहिंसा की विजय।
"मैं गाँधी हूँ"
देश-प्रेम का जीता जागता उदाहरण।
"मैं गाँधी हूँ"

कवि आनंद जैन अकेला कटनी मध्यप्रदेश-
देश हमारा सबसे प्यारा, अखंड राष्ट्र का सपना है।
होने न देंगे टुकड़े इसके, ऐसा संकल्प ये अपना है।।
प्राची से होता उदित सूर्य, धरती को सुनहरा कर देता।
मुक्ता, माणिक, हीरे, पन्ना  से, *अकेला* इसको भर देता ।।

चन्दा डांगी आदित्य सीमेंट चित्तौड़गढ़ राजस्थान -
अखण्ड भारत
काश भारत अखण्ड रहता
न खेली जाती खून की होली
तब शायद राष्ट्र पिता का मन
सुखी और सन्तुष्ट होता

सुनीता चौहान हिमाचल प्रदेश -
अपनी हर बात को सुनाने का,
वे हट कर ही मार्ग अपनाते थे।
दंगे फसाद से कोसों दूर रहकर भी,
शांति पूर्वक अपनी बात मनवाते थे।।

शेखर रामकृष्ण तिवारी -
उठे जज़्बात की आंधी तो दुनियां चौंक जाएगी,
लहू के रंग से लिखेंगे, जो दृष्टि उठ के आएगी।

ज्ञानेश कुमार मिश्र, आबूधाबी/ मुंबई -
धर्म, कर्म सब है समष्टिगत, छोड़ो या तुम धारो,
करने को है प्यार जगत से, जग से घृणा बिसारो,
सब मेरा है, मैं सबका हूँ, व्यष्टि रही सामान्य,
खास नहीं कुछ, सबको समरस, जड़ से चेतन यारो।

प्रो.शरद नारायण खरे, मंडला, मप्र -
मुझे गांधी ने सिखलाया,जिऊँ मैं कैसे यह जीवन
बनाऊँ कैसे मैं इस देह और मन को प्रखर,पावन
मुझे नैतिकता-पथ दिखलाके, रोशन आत्मा कर दी
पूज्य बापू के कारण ही, महकता है मिरा मधुवन।
             
शोभारानी  तिवारी -
खादी पहनकर दी आजादी
स्वदेशी मंत्र लाया
पहले बापू,फिर महात्मा
राष्ट्रपिता कहलाया।

 सुरेन्द्र हरडे कवि,  नागपुर (महाराष्ट्र) -
सादा जीवन उच्च विचार
  सात्विक तन-मन, शुध्दाचार
 सत्य अहिंसा और प्रेम का
  दिया तुमने पैगाम!
      
पदमा तिवारी दमोह मध्य प्रदेश -
2 अक्टूबर का दिन इतना गौरवबान है 
भूलेंगे ना भूलने देंगे यह कितना महान है।

ओजेंद्र तिवारी दमोह मध्य प्रदेश -
लघु लेख महात्मा गांधी पर

जनार्दन शर्मा -
अखण्ड भारत
काश भारत अखण्ड रहता
न खेली जाती खून की होली
तब शायद राष्ट्र पिता का मन सुखी और सन्तुष्ट होता

चन्दा डांगी आदित्य सीमेंट चित्तौड़गढ़ राजस्थान -
आज हैं दो अक्टूबर का दिन हैं, आज का दिन है बडा महान,
आज के दिन दो फूल खिले थे जिनसे महका हिन्दुस्तान
एक नारा सत्य अहिंसा, एक का नारा जय जवान,जय किसान,.

अनिता शरद झा,  रायपुर छत्तीसगढ़ -
आज से बेहतर कल बनाओ
सत्कर्म सिद्धान्तों मुक्त विचार रख
कलियों फूलो की सुगंध फल से
प्रकृति जीवन को मधुर बनाओ
कमियों को नज़र अन्दाज़ कर
पारदर्शी जीवन दर्पण दिखा
सज्ञान लेकर देकर जीवन सवारों

पद्माक्षी शुक्ल
लाल बहादूर शास्त्री जी, शत शत नमन, 
,
शुभा शुक्ला निशा रायपुर छत्तीसगढ -
साल के होते बारह महीने
सावन के लोग दिलाने होते
सावन में होता प्रकृति का
निश्छल अद्भुत हरित श्रंगार
हरियाली की चादर ओढ़े
प्रकृति लुटाती अप्रतिम प्यार

विजेन्द्र मेव "भाईजी" राजस्थान -
हर एक लफ्ज़ की गर्माई में शीतलता का आभास करें,
जंग कोई भी लड़े जीवन में तलवार से मजबूत है 
कलम इसकी ताकत का विश्वास करें।

प्रेरणा सेन्द्रे - 
एक धर्म ,एक कर्म
सादा जीवन ,उच्च विचार
ऐसे थे  हमारे बापू महान

स्मिता धिरासरिया, बरपेटा रोड -
अग्नि सिखा मंच पर आज चली काव्य की  आंधी
सभी ने याद किया शास्त्री महान गाँधी।
देश भक्ति की लहर भरपूर रही
कवियों की सराहना बेमिसाल रही।
        
मधु वैष्णव "मान्या" -
निर्मल निश्छल प्रेम का,
हो अतुलनीय भाव तुम।

इन्द्राणी साहू"साँची -
दो अक्टूबर का दिन पावन ।
फूल खिला था अति मनभावन ।।
गाँधी मन मोहन बन आए ।
भारत भू का मान बढ़ाए ।।

डा.महताब अहमद आज़ाद -
मुश्किल सहन की  सफर रखा जारी!
बापू जी थे अहिंसा के पुजारी!!

संजय कुमार मालवी (आदर्श) इंदौर -बापू फिर एक बार आ जाओ
क्या बापू ये क्या कर दिया,
सत्य अहिंसा का संदेश दे दिया,
कैसे लोगो के हाथ देश को सौप दिया,
सत्य अहिंसा के संदेश को तार तार कर दिया,
बापू फिर एक बार आ जाओ
देश दुनिया को सत्य अहिंसा का संदेश दे जाओ
बापू फिर एक बार आ जाओ ।

डा अँजुल कंसल"कनुप्रिया" ,इंदौर मध्यप्रदेश -
भारत छोडो़ आंदोलन में
सक्रिय भागीदारी निभाई।
गांधी जी समाज सुधारक
आजा़दी के सशक्त पुरोधक
शास्त्री का सादा जीवन उच्च विचार
नारा दिया जय जवान जय किसान।
....

रपट की लेखिका - डॉ अलका पाण्डेय 
पता - मुम्बई
परिचय - अध्यक्ष, अ. भा. अग्निशिखा मंच
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com




1 comment:

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