सारी दुनिया में बदलाव का वाहक सूचना प्रौद्योगिकी सेक्टर बन चुका है । फिर भी शब्दों की ताकत हमेशा बनी रहेगी । हरिवंश की इन पंक्तियों से व्हाट्सएप्प और फेसबुक संदेशों की बाढ़ में भी शब्दों की शक्ति के अक्षुण्णता के महत्व को फिर से उजागर किया गया ।
"अप-डाउन में फंसी जिंदगी" एक ऐसे प्रतिबद्ध साहित्यकार दिलीप कुमार की कृति है जो अप और डाउन रेलों के आवागमन से सम्बंधित उच्चस्तरीय प्रबंधन में व्यस्तता के बावजूद साहित्यकर्म को अपना सबसे प्रिय कर्म मानता है। इस काव्य संग्रह का लोकार्पण राज्यसभा के उपसभापति सह वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश तथा पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी द्वारा महेंद्रू घाट स्थित रेलवे सभागार में किया गया।
लोकार्पण सत्र में हरिवंश ने कहा कि दिलीप कुमार की कविताएं समसामयिक परिस्थितियों से निकल कर कालातीत सच का बयान करती हैं । रेलवे के व्यस्त जीवन के बावजूद जो उन्होंने जो रचा है, वह संभावनाओं को जन्म देता है । बड़े-बड़े प्रबंधकीय डिग्री से लैस अधिकारियों द्वारा संचालित एनरॉन कंपनी जब दिवालिया होने से नहीं बच पाई तो उसके कारणों की तलाश की गई । शोध में निष्कर्ष निकला कि बड़े-बड़े तनख्वाह पाने वाले अधिकारी संस्कृति और साहित्य से विमुक्त होते चले गए जो अंततः कंपनी की विफलता का कारण बना । जीवन के अनसुलझे प्रश्नों को सुलझाने का काम कविता ही करती है।
हरिवंश ने कहा कि सभ्यताओं, संस्कृतियों और राष्ट्रों का निर्माण साहित्यकारों और कवियों द्वारा किया जाता है । साहित्य के क्षेत्र में भी कविता का विशेष महत्व है । समाज को समझने के लिए सोशलिस्टों की रचनाओं को पढ़ना जरूरी होता है । लेकिन यदि उस समय की प्रतिनिधि रचनाओं को पढ़ लिया जाए तो फिर समाज शास्त्रियों के विचारों को पढ़ना जरूरी नहीं रह जाता । जैसे फणीश्वर नाथ रेणू के मैला आंचल, शिवप्रसाद सिंह के अलग अलग वैतरणी, श्रीलाल शुक्ल के राग दरबारी और राही मासूम रजा के आधा गांव को पढ़ने के बाद 60 से 70 के दशक के सामाजिक, राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह से समझा जा सकता है कि उस समय की मन:स्थिति कैसी थी ।
दिलीप कुमार ने अपने कविता संकलन को जीवन की उन पटरियों को समर्पित किया है जो साथ चलती हैं, कभी ना मिलने के लिए । हम सबकी जिंदगी का फलसफा भी ऐसा ही है । इस संकलन की गई रचनाओं में जिंदगी की फिलॉसफी और बड़े सवालों को सहज शब्दों में संप्रेषित किया गया है । संकलन की कविता छलिया क्रांति का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि क्रांति के बाद जो सिंहासन पर बैठते हैं, उनका चेहरा पहले के शासकों जैसा ही क्रूर रहा । इससे पहले लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने पुष्पगुच्छ देकर सभी अतिथियों का स्वागत किया।
समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी ने कहा कि रेलवे द्वारा साहित्यिक-सांस्कृतिक प्रतिभाओं को बढ़ाने का काम किया जाता है । दिलीप कुमार को उनके नए कविता संकलन के लिए बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि संकलन की कई कविताओं में रेल कर्मियों के दर्द को उकेरा गया है । उन्होंने रेलवे की कार्यप्रणाली और रेल संरक्षा को बढ़ावा देने वाली कविताओं के संकलन के प्रकाशन का सुझाव दिया । कार्यक्रम का संचालन पूर्व मध्य रेल के मुख्य कार्मिक अधिकारी (आई आर) सुरेश चंद्र श्रीवास्तव ने किया ।
इस अवसर पर पूर्व मध्य रेल के अपर महाप्रबंधक विद्याभूषण, प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक विष्णु कुमार, प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर सह मुख्य राजभाषा अधिकारी राकेश तिवारी, भारतीय रेल यातायात प्रबंधन संस्थान के डीन और रेलवे के वरिष्ठ कवि शैलेंद्र कपिल, लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रदीप पांडे क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी प्रवीण मोहन सहाय, प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी शैलेंद्र कुमार,प्रसिद्ध लोक गायक भरत सिंह भारती कवि अनिल विभाकर, वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश, वरिष्ठ लेखक निराला विदेसिया, वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज, प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट पवन, वरिष्ठ शिक्षक और विचारक प्रमोद कुमार शर्मा, रामवृक्ष प्रसाद, आकाशवाणी के उप निदेशक डॉ किशोर सिन्हा, दूरदर्शन की उपनिदेशक श्वेता सिंह, रंगकर्मी अविनाश झा, प्रियेश प्रियम कवि शंकर कैमूरी, वरिष्ठ कवि सह पत्रकार ओम प्रकाश अश्क, सामाजिक कार्यकर्ता मधु मंजरी, युवा कवि कुमार रजक वरिष्ठ कवि मुकेश प्रत्यूष राष्ट्रीय युवा विकास परिषद के अध्यक्ष किसलय किशोर, युवा ग़ज़लकार समीर परिमल, राजकिशोर राजन, सिद्धेश्वर आदि मौजूद रहे।
आयोजन के द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें प्रभात सरसिज,अनिल विभाकर, राजकिशोर राजन, कुमार रजत, सिद्धेश्वर, अमलेन्दु अस्थाना, भरत सिंह भारती, समीर परिमल, श्वेता शेखर, दिलीप कुमार आदि ने अपनी कविताओं का पाठ किया ।
धन्यवाद ज्ञापन बिहार के प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने किया ।
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आलेख-डॉ. नीतू नवगीत
छायाचित्र सौजन्य-
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
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आयोजन के द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें प्रभात सरसिज,अनिल विभाकर, राजकिशोर राजन, कुमार रजत, सिद्धेश्वर, अमलेन्दु अस्थाना, भरत सिंह भारती, समीर परिमल, श्वेता शेखर, दिलीप कुमार आदि ने अपनी कविताओं का पाठ किया ।
धन्यवाद ज्ञापन बिहार के प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने किया ।
आलेख-डॉ. नीतू नवगीत
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